IVF कैसे किया जाता है? 1 उम्मीद की नई किरण

IVF कैसे किया जाता है, बांझपन (Infertility) की समस्या से जूझ रहे कई दंपतियों के लिए इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF) एक वरदान साबित हुआ है। यह तकनीक उन लोगों के लिए आशा की किरण है जो प्राकृतिक रूप से संतान सुख प्राप्त नहीं कर पा रहे हैं। IVF विज्ञान की एक अनोखी देन है, जो लाखों लोगों की जिंदगी में खुशियाँ भर चुकी है। लेकिन यह प्रक्रिया कैसे होती है? इसमें क्या-क्या स्टेप्स होते हैं? और इसे करवाने के दौरान किन बातों का ध्यान रखना चाहिए? आइए इस लेख में विस्तार से जानते हैं।

IVF कैसे किया जाता है

IVF क्या होता है? IVF कैसे किया जाता है

IVF का पूरा नाम इन विट्रो फर्टिलाइजेशन है, जिसका अर्थ है “शरीर के बाहर निषेचन”। इसमें महिला के अंडाणु (Egg) और पुरुष के शुक्राणु (Sperm) को प्रयोगशाला में मिलाया जाता है। जब निषेचन (Fertilization) सफल हो जाता है, तो भ्रूण (Embryo) को महिला के गर्भाशय (Uterus) में प्रत्यारोपित किया जाता है, जिससे गर्भधारण (Pregnancy) संभव हो सके।

यह प्रक्रिया उन महिलाओं के लिए मददगार होती है जिन्हें पीसीओडी (PCOD), ट्यूब ब्लॉकेज, कम हार्मोन लेवल, या किसी अन्य कारण से गर्भधारण में समस्या होती है। साथ ही, यह पुरुषों में शुक्राणु की गुणवत्ता से जुड़ी समस्याओं के मामले में भी उपयोगी होती है

IVF की पूरी प्रक्रिया

IVF कैसे किया जाता है

1. काउंसलिंग और मेडिकल परीक्षण

IVF से पहले डॉक्टर से परामर्श (Counseling) लेना बहुत जरूरी होता है। इस चरण में:

• महिला और पुरुष दोनों के स्वास्थ्य की जांच की जाती है।

• हार्मोन, ब्लड टेस्ट और अल्ट्रासाउंड किए जाते हैं।

• शुक्राणुओं की गुणवत्ता (Sperm Quality) और संख्या की जांच की जाती है।

• महिला के गर्भाशय और अंडाणुओं की स्थिति देखी जाती है।

यह प्रक्रिया यह सुनिश्चित करती है कि IVF दंपति के लिए सही विकल्प है या नहीं।

2. अंडाणुओं को बढ़ाने के लिए हार्मोन थेरेपी (Ovarian Stimulation)

महिला के अंडाशय (Ovary) में अधिक अंडाणु विकसित करने के लिए हार्मोनल इंजेक्शन दिए जाते हैं। सामान्य रूप से, एक महिला के मासिक चक्र में केवल एक ही अंडाणु विकसित होता है, लेकिन IVF में सफलता की संभावना बढ़ाने के लिए 10-15 अंडाणु विकसित किए जाते हैं।

• यह प्रक्रिया लगभग 10-14 दिनों तक चलती है।

• नियमित रूप से सोनोग्राफी और ब्लड टेस्ट किए जाते हैं ताकि यह देखा जा सके कि अंडाणु सही से बढ़ रहे हैं या नहीं।

3. अंडाणु निकालना (Egg Retrieval Process)

जब अंडाणु पूरी तरह परिपक्व हो जाते हैं, तो उन्हें एक छोटे ऑपरेशन के जरिए निकाला जाता है।

• इस प्रक्रिया को फॉलिक्युलर एस्पिरेशन (Follicular Aspiration) कहा जाता है।

• इसमें एक पतली सुई के माध्यम से अंडाणुओं को निकाला जाता है।

• महिला को हल्की एनेस्थीसिया (Anesthesia) दी जाती है, जिससे उसे कोई दर्द महसूस नहीं होता।

4. शुक्राणु संग्रह (Sperm Collection)

इसी दौरान पुरुष से वीर्य (Semen) का सैंपल लिया जाता है।

• वीर्य को लैब में साफ और तैयार किया जाता है ताकि स्वस्थ शुक्राणु को अलग किया जा सके।

• यदि पुरुष में शुक्राणुओं की कमी होती है, तो ICSI (Intracytoplasmic Sperm Injection) तकनीक का उपयोग किया जाता है, जिसमें एक शुक्राणु को सीधे अंडाणु में इंजेक्ट किया जाता है।

5. निषेचन (Fertilization Process)

अब सबसे महत्वपूर्ण चरण आता है – निषेचन।

• लैब में अंडाणु और शुक्राणु को एक साथ रखा जाता है ताकि प्राकृतिक रूप से निषेचन हो सके।

• यदि प्राकृतिक निषेचन संभव नहीं होता, तो ICSI तकनीक का उपयोग किया जाता है।

• 24 घंटे के भीतर यह देखा जाता है कि कितने अंडाणु निषेचित (Fertilized) हुए हैं।

• निषेचन के 3-5 दिन बाद भ्रूण तैयार हो जाता है।

6. भ्रूण प्रत्यारोपण (Embryo Transfer)

अब, जो सबसे स्वस्थ भ्रूण (Embryo) विकसित होते हैं, उन्हें महिला के गर्भाशय में रखा जाता है।

• यह प्रक्रिया बिना किसी दर्द के होती है।

• डॉक्टर एक पतली ट्यूब (कैथेटर) के जरिए भ्रूण को गर्भाशय में डालते हैं।

• भ्रूण गर्भाशय की दीवार से जुड़ जाता है और गर्भावस्था शुरू हो जाती है।

7. गर्भावस्था परीक्षण (Pregnancy Test)

भ्रूण प्रत्यारोपण के लगभग 14 दिन बाद महिला का गर्भावस्था परीक्षण (Beta hCG Test) किया जाता है।

• यदि टेस्ट पॉजिटिव आता है, तो महिला गर्भवती मानी जाती है।

• यदि टेस्ट नेगेटिव आता है, तो प्रक्रिया को दोबारा किया जा सकता है।

IVF प्रक्रिया के दौरान ध्यान देने योग्य बातें

शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य का ख्याल रखें

IVF की प्रक्रिया के दौरान महिला को शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रहना बहुत जरूरी होता है।

तनाव कम करें – मेडिटेशन और योग करें।

• अच्छा आहार लें – हरी सब्जियां, फल, प्रोटीन और भरपूर पानी पिएं।

• भरपूर आराम करें – नींद पूरी लें और भारी काम न करें।

IVF की सफलता दर

IVF की सफलता महिला की उम्र, अंडाणुओं की गुणवत्ता और क्लिनिक की विशेषज्ञता पर निर्भर करती है।

• 30 साल से कम उम्र की महिलाओं में सफलता दर 50-60% होती है।

• 35-40 साल की महिलाओं में सफलता दर 30-40% होती है।

• 40 साल से अधिक उम्र की महिलाओं में यह दर 15-20% तक हो सकती है।

निष्कर्ष

IVF सिर्फ एक चिकित्सा प्रक्रिया नहीं है, बल्कि यह उन जोड़ों के लिए एक नई जिंदगी की उम्मीद लेकर आता है जो माता-पिता बनने का सपना देख रहे हैं। यह सफर भावनात्मक रूप से चुनौतीपूर्ण हो सकता है, लेकिन सही जानकारी, अच्छे डॉक्टर और सकारात्मक सोच के साथ यह संभव है।

अगर आप या आपका कोई प्रियजन IVF के बारे में विचार कर रहा है, तो घबराने की जरूरत नहीं है। यह यात्रा मुश्किल हो सकती है, लेकिन अंत में यह खुशी और संतोष से भरी होती है। विज्ञान ने हमें जो उपहार दिया है, उसका सही इस्तेमाल कर हम अपने सपनों को साकार कर सकते हैं।

माँ बनने की चाहत हर स्त्री की सबसे बड़ी भावना होती है, और IVF इस सपने को साकार करने का एक बेहतरीन जरिया है।

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